रॉबर्ट टी. कियोसाकी की किताब है- रिच डैड पुअर डैड। रॉबर्ट कियोसाकी की यह बेस्टसेलर किताब वह सब बताती है, जो अमीर लोग पैसे को लेकर अपने बच्चों को सिखाते हैं। लेकिन गरीब या मिडिल क्लास के लोग अपने बच्चों को उससे दूर रखते हैं। अगर आप अमीर बनना चाहते हैं तो आपको रॉबर्ट कियोसाकी की यह किताब पढ़नी ही चाहिए। यह आपके अंदर पैसे की समझ पैदा करती है।
आसान बोलचाल की भाषा में लिखी गई यह किताब आपको अंग्रेजी, हिंदी के साथ-साथ तमाम भाषाओं में मिल जाएगी। यह दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली सेल्फ हेल्फ बुक में से एक है। इस किताब को सिर्फ आपको खुद ही नहीं पढ़नी चाहिए, बल्कि अपने बच्चों को भी पढ़ने के लिए देनी चाहिए। इससे उनमें भी पैसे को लेकर एक नई समझ विकसित होगी। एक कहावत है नजरिया बदलो, नजारा अपने आप बदल जाएगा। एक तरह से इस किताब में यही है। पैसे को लेकर आप अपना नजरिया बदलेंगे और आपको अमीरी के रास्ते पर जाने के कोई नहीं रोक सकता।
इस किताब की सबसे अहम बात यह है कि अगर आपको अमीर बनना है तो अपने लिए काम कीजिए। दूसरे के लिए काम करके आप कभी अमीर नहीं बन सकते। दूसरे के लिए काम करके, मेहनत करके आप उन्हें अमीर बनाने का काम कर रहे हैं। आप जिसके लिए काम करते हैं, हर वक्त उन्हीं के लिए सोचते हैं।
आमतौर पर समाज में लोग अमीर लोगों को गलत नजरिए से देखते हैं। उनको लगता है कि अमीर है तो बेईमानी, धोखाधड़ी, घुसखोरी, कंजूसी और गलत तरीके से कमाई करके पैसा कमाया होगा। जरूर कोई ना कोई गलत काम करता होगा। जबकि अमीर लोगों का मानना होता है कि पैसा नहीं होने पर ही कोई गलत तरीके अपनाता है। पैसा नहीं होने पर ही लोग चोरी- बेईमानी जैसे गलत रास्ते पर भटकता है।
अगर आप समाज के लिए, देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो आपके पास पैसा होना ही चाहिए। और पैसा के लिए आपको अमीर बनना पड़ेगा। शायद ही आपने किसी गरीब व्यक्ति को अस्पताल, धर्मशाला, सराय, धर्मार्थ काम करते, स्कूल-कॉलेज खोलते या किसी को दान देते सुना होगा। जबकि अमीर लोग दान-धर्म के साथ-साथ सैकड़ों परोपकार, CSR के काम के साथ लाखों लोगों को रोजगार भी देते हैं। टाटा-बिड़ला, अजीम प्रेमजी, नारायणमूर्ति, बिल गेट्स, वारेन बफे जैसे अमीर लोग एक नंबर के कमाई में से करोड़ों रुपये परोपकार के काम में खर्च करते हैं। साफ है जब आपके पास होगा, तभी आप किसी और की मदद कर पाएंगे।
रॉबर्ट कियोसाकी की इस किताब में बताया गया है कि ईमानदारी से भी काम करके अमीर बना जा सकता है। बस स्मार्टली काम करने और पथ पर आगे बढ़ने की जरूरत है। मैं ये दावे के साथ कह सकता हूं कि इस किताब को पढ़ने के बाद आपके नजरिए में जरूर बदलाव आएगा और आप ये जरूर कहेंगे कि इस किताब को पहले क्यों नहीं पढ़ा।
रिच डैड पुअर डैड के लेखक रॉबर्ट कियोसाकी का कहना है कि दुनिया में जितने भी लोग हैं वे चार कटेगरी में आते हैं। वे चार कटेगरी से बाहर हो ही नहीं सकते हैं। इसके लिए उन्होंने E,S,B और I का एक फॉर्मूला दिया है। यह फॉर्मूला दुनियाभर में काफी लोकप्रिय है।
ESBI में
E- Employee
S- Small Business Owner/Self-Employed
B- Big Business
I- Investor
E यानी इंप्लॉयी- इस कटेगरी में जॉब-नौकरी करने वाले लोग शामिल हैं। चपरासी से लेकर सीईओ तक। नीचे से ऊपर तक किसी भी तरह का जॉब करने वाले लोग इस कटेगरी में आते हैं। इसमें आप अपना महत्वपूर्ण समय किसी कंपनी या संस्थान को देते हैं, जिसके बदले आपको वेतन मिलता है। कंपनी के लिए आप अपने जीवान का सबसे खूबसूरत पल न्यौछावर कर देते हैं। इस कटेगरी के लोग खूब स्मार्ट, पढ़े-लिखे और स्कूल-कॉलेज के टॉपर होते हैं। ये कंपनी- संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं। आइडिया के जरिए संस्थान को काफी फायदा पहुंचाते हैं। इनका जैसे-जैसे प्रमोशन होता है, वैसे-वैसे टेंशन बढ़ता जाता है। चौबीसों घंटे संस्थान के लिए सोचते रहते हैं। इसमें आपका अपना कुछ नहीं होता। जब तक आप कंपनी के लिए काम कर सकते हैं, आपको वेतन देगी। जब लगेगा कि आप उनके काम के नही हैं, तो कंपनी आपको रिटायरमेंट के दिन भी बाहर का रास्ता दिखा देगी।
S यानी स्मॉल बिजनेसमैन या सेल्फ इंप्लायी- इस कटेगरी के लोग या तो छोटा-मोटा बिजनेस करते हैं या फिर कोई अपना काम। इसमें दुकानदार से लेकर अपना काम करने वाले वकील, अकांउटैंट, नर्सिंगहोम चलाने वाला डॉक्टर या फिर दस-बीस स्टॉफ रख काम करने वाले व्यक्ति शामिल होते हैं। इस कटेगरी के लोग जबतक काम में खुद नहीं लगते उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है। डॉक्टर, वकील, दुकानदार जबतक खुद उसमें हर स्तर पर शामिल नहीं होते, उन्हें लगता ही नहीं कि काम सही से हो पाया है। अपना काम होने पर भी ये सही से छुट्टी नहीं ले पाते और ना ही अपने या परिवार के लिए समय निकाल पाते हैं। इनको ये डर लगा रहता है कि ज्यादा दिन बिजनेस से अलग रहने पर ग्राहक या क्लाइंट भाग जाएंगे। हर स्तर पर खुद जुड़े होने के कारण ये एक सीमा से ज्यादा काम नहीं कर पाते हैं और एक सीमा से ज्यादा अमीर भी नहीं बन पाते हैं।
B यानी बिग बिजनेस मैन- किताब के अनुसार इस बिग बिजनेसमैन कटेगरी के लोग सुपर रिच होते हैं। उनके यहां कम से कम 500 लोग काम करते हैं। ये अपना बिजनेस चलाने के लिए एक सिस्टम बनाते हैं। कंप्यूटर, प्रोडक्शन, अकाउंट, एचआर जैसे डिपार्टमेंट बना देते हैं। हर डिपार्टमेंट के लिए अलग-अलग हेड होते हैं। फिर सब को मिलाकर एक चीफ, सीईओ बना देते हैं, जो संस्थान के हर कामकाज पर नजर रखते है। बिग बिजनेसमैन या मालिक को सिर्फ हेड से रिपोर्ट लेना होता है। टार्गेट देना होता है कि तय समय पर हमें इतना काम चाहिए। इसमें बिग बिजनेसमैन खुद जुड़ा नहीं होता, सिर्फ कभी-कभी प्रदर्शन पर नजर रखता है। इस कटेगरी के लोग अगर 6 महीने के लिए भी छुट्टी पर कहीं निकल जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता। वे फोन, ईमेल, कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्रुप हेड से संपर्क में बने रहते हैं।
इस कटेगरी के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे हों यह जरूरी नहीं है, लेकिन ज्यादा पढ़े-लिखे लोग इनके लिए काम जरूर करते हैं। ये लोगों से कैसे काम लेना है, यह जानते हैं। ये एक सिस्टम बनाते हैं और किसी आइडिया को कैसे अमल में लाया जाए, उसे करना जानते हैं। ये लोग जुनूनी होते हैं। ये हमेशा यह सोचते हैं कि कुछ करना है।
आखिरी कटेगरी है आई
I यानी इंवेस्टर- निवेशक यानी पैसा से पैसा कमाने वाला। इस कटेगरी के लोग पहले से अमीर होते हैं। ये पैसा लगाकर पैसा कमाते हैं। ये किसी कंपनी, कारखाने, जमीन, प्लाट, अपार्टमेंट, स्टार्टअप में पैसा निवेश कर उससे कमाते हैं। अपार्टमेंट, शॉपिंग मॉल बना उसे किराए पर दे, उससे हर महीने एक निश्चित रकम कमाते हैं। ये लोग शेयर बाजार में भी निवेश कर पैसा कमाते हैं। इनकी नजर हमेशा इस बात पर लगी रहती है कि कहां पैसा लगाकर कमाई की जा सकता है। इसके लिए ये लोग ई कटेगरी के स्मार्ट लोगों को हायर करते हैं। उनसे काम करवाते हैं।
किताब में यह भी बताया गया है कि दुनिया में करीब 90 प्रतिशत लोग E और S कटेगरी में आते हैं, जबकि उनके पास सिर्फ दस प्रतिशत ही धन है। इसके उलट B और I कटेगरी के लोगों की संख्या सिर्फ दस प्रतिशत है और उनके पास दुनिया के धन का 90 प्रतिशत हिस्सा है। अब ESBI को देखकर बताइए कि आप खुद को किस कटेगरी में पाते हैं। अगर ES से BI कटेगरी में शिफ्ट करना चाहते हैं तो आपको अपने माइंडसेट को बदलना होगा। अपने आप में बदलाव लाना होगा और हां यह सब करने के लिए पहले आपको रिच डैड पुअर डैड पढ़ना होगा।
अमीर बनने के लिए आपको अपनी सोच तो बदलनी ही होगी अपनी संगत भी बदलनी होगी। जैसे लोगों के साथ रहेंगे वैसे बन पाएंगे। वैसे लोगों की तरह सोचेंगे। पैसा कमाना है तो पैसा कमाने वाले लोगों के साथ रहिए। वे लोग जो मैगजीन और अखबार पढ़ते हैं, उसे पढ़िए। स्मार्ट तरीके से टैक्स कैसे बचाया जा सकते है, उसे अपनाइए। अपने रंग-ढंग, रहन-सहन में बदलाव लाइए। किसी स्टॉफ सेलेक्शन की तैयारी करने वाले के साथ रहकर आप सिविल सर्विस की तैयारी नहीं कर सकते। उसी तरह अमीर बनने के लिए आपको उस तरह के माहौल में अपने आपको ले जाना होगा।
आप सभी को अमीरी की तरफ कदम बढ़ाने के लिए शुभकामना। अपना विचार जरूर लिखिएगा कमेंट बॉक्स में।
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